IAS Success Story: दोस्तों सिविल सेवा (UPSC) की परीक्षा को देश का सबसे महत्वपूर्ण परीक्षाओ में से एक माना गया है. और इस परीक्षा में लाखो कैंडिडेट्स आईएएस आईपीएस बनने की सपने को लेकर सामिल होते है किन्तु आपको बता दे कि कुछ कैंडिडेट्स ही अपने इस सपना को पूरा कर पाते है.
आज के इस खबर में हम आपको एक आईएएस अफसर की कहानी बता रहे है जिन्होंने गांव में स्कूल न होने के कारण रोजाना 5 किलोमीटर पैदल चलकर जाते थे पढने बने आईएएस आइये जानते आईएएस मनीराम की सफलता के बारे में …
जानकारी के अनुसार आईएएस मनीराम मूल रूप से राजस्थान के अलवर जिले के बंदनगढ़ी गांव के निवासी है. मनीराम वर्ष 2009 में सिविल सेवा की एग्जाम पास कर आईएएस बने थे. वही आपको बता दे कि मनीराम कानों से सुन नहीं सकते थे.
मनीराम गांव में स्कूल न होने के कारण प्रत्येक दिन 5 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाते थे. वही उनके 10th क्लास में सफलता के प्रश्चात उनके पिता ने उनको नौकरी को लेकर गए. वहा जाकर उनके पिता ने उनके लिए चपराशी की नौकरी की मांग की.
जहाँ उन्हें बताया गया की मनीराम कुछ सुन नही सकते तो ये चपराशी की नौकरी कैसे करेंगे. उसी वक्त मनीराम अपने पिता को कहते है की वो एक दिन बहुत बड़ा अधिकारी बनेंगे. और उन्होंने कुछ ऐसा ही किया. बता दे कि उन्होंने राज्य में क्लर्क की एग्जाम में सफलता हासिल किये.
इसके प्रश्चात उन्होंने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते हुए अपने आगे की पढ़ाई अलवर के कॉलेज से पूरा किये. राज्य में क्लर्क की एग्जाम में सफलता हासिल करने के प्रश्चात उन्होंने पीएचडी की स्कॉलरशिप भी प्राप्त किये. और फिर सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल करने की तैयारी में लग गए.
साथ ही आपको बता दे कि मनीराम ने वर्ष 2005 में सिविल सेवा की परीक्षामें सफलता हासिल किये थे. बहरेपन के वजह से उन्हें जॉब नहीं मिली. वर्ष 2006 में दोबारा एग्जाम पास किये. तब उन्हें पोस्ट एंड टेलीग्राफ अकाउंट्स की जॉब मिली. इसके प्रश्चात उन्होंने अपने कान का इलाज कराया. जिसके प्रश्चात वह सुनने लगे.और वर्ष 2009 में फिर उन्होंने सिविल सेवा की एग्जाम पास किये और आईएएस बने.