रहने को घर नहीं | खाने को खाना नहीं | फिर भी कुछ कर गुजरने की चाहत होना एक बड़ी बात है |
ये कहानी मुंबई आजाद मैदान के पास सड़क किनारे रहने वाली आसमा सलीम की है | आसमा सलीम अभी मात्र 17 साल की है |
दसवीं पास करने के बाद आसमा मुंबई SSC का पेपर दिया था | आसमा के मेहनत और सौभाग्य से आसमा को इस एग्जाम में 40 % मार्क्स आये |
सोचने वाली बात है की , जिसके पास रहने को घर नहीं था , पिता वहीं सड़क किनारे निम्बू पानी बेचता था , और बेटी ने देखते-देखते कमाल कर दिया |
मिली जानकारी के अनुसार फ़िलहाल आसमा के लिए एक पार्ट टाइम नौकरी और एक घर का इंतजाम सरकार ने कर दिया है |
आसमा अपनी कामयाबी का श्रेय अपने पिता को देती है | वो कहती है , मेरे पास हो जाने से सारे लोग काफी खुश है | मैंने बहुत मेहनत किया है | रात-रात भर स्ट्रीट लाइट के निचे पढाई की है |
आसमा की इस कहानी से पता चलता है की “नामुमकिन कुछ भी नहीं ” |