वायु प्रदूषण का प्रभाव सिर्फ हमारे फेफड़ों तक सीमित नहीं है। यह हमारे शरीर के अन्य महत्वपूर्ण अंगों जैसे कि लिवर और किडनी पर भी गहरा असर डालता है। वायुमंडलीय प्रदूषक जैसे कि पीएम 2.5 और नाइट्रोजन ऑक्साइड श्वसन के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं। और रक्तप्रवाह के जरिए विभिन्न अंगों तक पहुँचते हैं।

फेफड़ों में ये कणिकाएं जमा होकर श्वसन संबंधी समस्याओं जैसे कि अस्थमा ब्रोंकाइटिस और अन्य श्वसन संक्रमणों का कारण बनती हैं। इसके अलावा इन कणिकाओं का लिवर पर भी प्रभाव पड़ता है। लिवर जो हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण डिटॉक्सिफिकेशन अंग है।

इन प्रदूषकों को निष्क्रिय करने और उन्हें शरीर से बाहर निकालने का प्रयास करता है। इस प्रक्रिया में लिवर पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। जिससे लिवर संबंधी रोगों का खतरा बढ़ जाता है। इसी प्रकार किडनी जो शरीर में अपशिष्ट पदार्थों को फिल्टर करती है।

इन प्रदूषकों के कारण अधिक तनाव में आ जाती है। लंबे समय तक इस तरह के प्रदूषण के संपर्क में रहने से किडनी की क्षमता प्रभावित होती है। और इससे किडनी संबंधी विकार हो सकते हैं। वायु प्रदूषण से बचाव के लिए यह महत्वपूर्ण है. कि हम न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि सामुदायिक स्तर पर भी जागरूकता बढ़ाएं और पर्यावरण अनुकूल निर्णय लें।

Madhav, a seasoned journalist with three years of extensive experience in news writing, editing, and reporting, is currently making his mark at newsfatafat.com. His journey in journalism, characterized...