शहर में मात्र आठ दुकानदारों के पास ही पटाखा बेचने का लाइसेंस है। लेकिन दीपावली आते ही शहर में पटखों की दर्जनों दुकानें जहां-तहां सज जाती है। हालांकि चुनावी माहौल के कारण अब तक चौक चौराहों पर लगने वाली पटाखों की अस्थायी दुकाने नहीं दिख रही है।
जिले में पटाखों का कारोबार करीब एक करोड़ से अधिक का होता है। यह व्यवसाय महज दो दिनों में होता है। इसमें 30 फीसदी सिर्फ शहर का आंकड़ा है। शहर में जिन दुकानदारों ने पटाखा बेचने का प्रशासन से लाइसेंस ले रखा है उनके पास पूरी मात्रा में सुरक्षा के उपायों का अभाव दिखता है।
शहर के अधिकांश पटाखा दुकानदार पटना से पटाखा लाकर यहां बेचते हैं। वहीं कुछ दुकानदार शिवकाशी से पटाखा मंगाते हैं। समय-समय पर पटाखा दुकानों में सुरक्षा के मानकों की जांच के बजाय साल में दीपावली के समय जांच की औपचारिकता पूरी की जाती है।
प्रशासन की इस उदासीनता के कारण ही पर्व के दौरान शहर में गली-गली और चौक-चौराहों पर अवैध रूप से पटाखों की दुकान सज जाती है।
Source samastipur town