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मिलिए अजमेर की रहने वाली परी बिश्नोई से जिनको UPSC की एग्जाम में लगातार दो बार असफलता मिली, फिर बिना हार माने ऐसे हासिल की सफलता.

IAS Pari Bishnoi

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दोस्तों संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की एग्जाम में सफलता प्राप्त करने वाले सभी प्रकार के विद्यार्थी कठिन परिश्रम के साथ इस एग्जाम में सफलता प्राप्त करने का प्रयत्न करते हैं. किन्तु सभी विद्यार्थी अपने प्रथम प्रयत्न में सफलता नहीं प्राप्त कर पाते हैं . किन्तु ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि प्रथम प्रयत्न में सभी परीक्षार्थी को सफलता नहीं मिलती कुछ ऐसे भी परीक्षार्थी होते हैं जो अपने प्रथम प्रयत्न में इस कठिन एग्जाम में सफलता प्राप्त कर लेते हैं.

आज के इस लेख हम आपको एक ऐसे आईएएस की कहानी बता रहे है जिनको सिविल सेवा (UPSC) की एग्जाम में लगातार दो बार असफलता मिली, किन्तु उन्होंने बिना हार माने फिर से सिविल सेवा एग्जाम में सामिल हुई और सफलता हासिल की आइये जानते है आईएएस परी बिश्नोई की UPSC यात्रा के बारे में…

जानकारी के अनुसार आपको बता दे की आईएएस परी बिश्नोई राजस्थान के अजमेर की रहने वाली है. इनके पिता का नाम मीनाराम बिश्नोई है जो की वो एक एडवोकेट है. वही उनकी माँ का नाम सुनीला बिश्नोई है. जो की वो अजमेर में जीआरपी में है.

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वही बात करे हम इनकी पढाई लिखाई की तो परी ने अपनी सुरुआती पढाई अजमेर स्थित सेंट मेरी कान्वेंट स्कूल से पूर्ण की. इसके प्रश्चात उन्होंने आगे की पढाई को लेकर दिल्ली चली गयी वहा से परी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से बैचलर्स की डिग्री प्राप्त की.

वही आपको बता दे की परी अपने स्नातक की पढाई के समय ही सिविल सेवा की तैयारी के बारे में सोच रही थी. जिसके बाद उन्होंने स्नातक की पढाई के साथ साथ सिविल सेवा की तैयारी भी करने लगी थी. परी ने अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त करने के प्रश्चात अजमेर स्थित (MDS) महाविद्यालय से पॉलिटिकल साइंस से पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की.

फिर बहुत दिनों के उपरान्त परी सिविल सेवा की तैयारी में लग गयी. वही आपको बता दे की परी को पहले प्रयत्न में ही असफलता का मुह देखना पड़ा जिसके बाद उन्होंने दूसरी बार सिविल सेवा एग्जाम में सामिल हुई किन्तु दूसरी बार में भी उन्हें असफलता ही हाथ लगी.

फिर परी अपने कड़ी मेहनत और लगन से साल 2019 में तीसरी बार सिविल सेवा एग्जाम में सामिल हुई और उन्होंने तीसरी बार में पुरे देश में 30वी रैंक प्राप्त कर ली. इस तरह उन्होंने अपने बचपन के सपने को साकार कर ली.

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